ऐतिहासिक महत्व रखते हैं भारत के ये 10 प्राचीन मंदिर, संस्कृति और कला का हैं अनूठा संगम

By: Ankur Fri, 25 Mar 2022 10:49:08

ऐतिहासिक महत्व रखते हैं भारत के ये 10 प्राचीन मंदिर, संस्कृति और कला का हैं अनूठा संगम

भारत में प्राचीन मंदिरों की कमी नहीं है। भारत में कई हजारों मंदिर स्थापित है जिसमें से कुछ अपनी वास्तु कला के लिए जाने जाते हैं तो कुछ अपने सौंदर्य के लिए, वही कुछ मंदिर अपने चमत्कारों के लिए भी माने जाते हैं। आज इस कड़ी में हम आपके लिए देश के कुछ ऐसे ऐतिहासिक मंदिरों की जानकारी लेकर आए हैं जो भारतीय संस्कृति, कला व सौंदर्य का अनूठा संगम है। ये मंदिर देश-विदेश के श्रद्धालुओं, पर्यटकों, इतिहास और कला प्रेमियों को अपनी तरफ आकर्षित करते है। इन मंदिरों की स्थापना आज से कई सौ साल या तो एक हजार साल से पहली हुई थी। तो आइये जानते हैं भारत के प्रसिद्ध ऐतिहासिक और सबसे पुराने मंदिरो के बारे में...

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बृहदेश्वर मंदिर, तमिलनाडु

तमिलनाडु के तंजौर में स्थित बृहदेश्वर मंदिर हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर को 1002 ईस्वी में चोल शासक राजाराज चोल प्रथम ने निर्माण करवाया था। यह मंदिर द्रविड़ शैली का अनूठा उदाहरण है। इस मंदिर के शीर्ष की ऊंचाई 66 मीटर है। इसकी प्रसिद्धि को देखने लोग मीलों दूरी का सफर तय करते हैं। यह मंदिर अपने समय में विश्व की विशालतम संरचनाओं में गिना जाता था।

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तुंगनाथ मंदिर, उत्तराखंड

तुंगनाथ मंदिर सभी पंच केदार मध्यमाश्वर, केदारनाथ, रुद्रनाथ और कल्पेश्वर में से सबसे अधिक ऊंचाई (समुद्र तल से 3680 मीटर) पर स्थित है। यह मंदिर रामायण से भी जुड़ा है, जहां भगवान राम ने रावण का वध करने के बाद ब्रह्महत्या के अभिशाप से बचने के लिए तपस्या की थी। यह इतना मंदिर छोटा है कि यहां एक बार में केवल 10 लोगों को ही प्रवेश की अनुमति है।

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चेन्नाकेशव मंदिर, कर्नाटक

कर्नाटक के बैलूर में स्थित चेन्नाकेशव मंदिर होयलस काल में बनाया गया है। यगाची नदी के किनारे स्थित यह मंदिर द्रविड़ शैली पर अधारित है। विष्णु भगवान को समर्पित इस मंदिर की दीवारों पर पौराणिक के पात्रों का चित्रांकन किया गया है। इसकी संरचना इतनी भव्य है कि इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा मान्यता दी गई है। इसके तीन प्रवेश द्वारों में से पूर्वी प्रवेश द्वार सबसे अच्छा माना जाता है। इस मंदिर को विजयनगर के शासकों द्वारा चोलों पर उनकी विजय को दर्शाने के लिए बनाया गया था।

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दिलवाड़ा मंदिर, राजस्थान

राजस्थान की अरावली पहाड़ियों में माउन्ट आबू हिल्स स्टेशन के बीच स्थित दिलवाड़ा जैन मंदिर जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल है। भारत के सबसे पुराने मंदिर में से एक दिलवाड़ा जैन मंदिर का निर्माण 11 वीं और 13 वीं शताब्दी के बीच विमल शाह द्वारा करवाया गया था। जैन धर्म को समर्पित यह मंदिर में 48 स्तम्भ हैं, जिनमें नृत्यांगनाओं की बनी आकृतियां हैं, जो सबको अपनी और आकर्षित करती हैं। यह मंदिर प्राचीन समय की जटिल नक्काशी और हर कोने से संगमरमर से सजे होने के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर बाहर से बहुत ही सामान्य दिखता है, लेकिन जब आप इस मंदिर को अंदर से देखेंगे तो इसकी छत, दीवारों, मेहराबों और स्तंभों पर बनी हुई डिजाइनों को देखकर हैरान रह जायेंगे।

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द्वारकाधीश मंदिर

भगवान श्री कृष्ण को समर्पित द्वारकाधीश मंदिर को जगत मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। गुजरात में मौजूद इस मंदिर को चार धाम यात्रा में शामिल किया गया है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 2500 साल पुराना है। यह इतना पुराना है कि इस मंदिर की चर्चा पुरातात्विक तथ्यों में भी देखने को मिलता है। यह मंदिर पांच मंजिला है, जिसमें लगभग 72 खंभे हैं। इस मंदिर की विशालता अति प्राचीन है।

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शोर मंदिर, तमिलनाडु

शोर मंदिर तमिलनाडु राज्य के महाबलीपुरम में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। शोर मंदिर का निर्माण राजा नरसिंहवर्मन द्वितीय के शासन काल में 700-728 ईस्वी के बीच में किये गया था। प्राचीन द्रविड़ शैली में निर्मित शोर मंदिर भारत के प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर में से एक है जिसमे पल्लव वंश की शाही कला, संस्कृति को दर्शाया गया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शोर मंदिर को वर्ष 1984 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में भी शामिल किया जा चुका हैं। भगवान शिव और श्री हरी विष्णु को समर्पित शोर मंदिर एक खूबसूरत पांच मंजिला रॉक-स्ट्रक्चरल संरचना हैं जिसमे तीन दर्शनीय मंदिर बने हुए हैं।

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ब्रह्मा मंदिर, राजस्थान

राजस्थान के पुष्कर में स्थित इस मंदिर की संरचना 14वीं शताब्दी की मानी जाती है। इस मंदिर को करीब 2000 साल पुराना बताया जाता है। इस मंदिर के बीचों-बीच ब्रह्मा और उनकी दूसरी पत्नी गायत्री की मूर्ति है। आपको बता दें कि यह मंदिर भारत का एक मात्र ब्रह्मा मंदिर है, जहां हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। यहां पर साल में दो बार मेले का भी आयोजन होता है, जिसमें देश-विदेश के बहुत सारे तीर्थ यात्री और पर्यटक भाग लेते हैं।

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खुजराहो मंदिर, मध्यप्रदेश

खुजराहो मंदिर भारत के सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर में से एक है जो अपनी कामुक शैली के लिए पूरी दुनिया भर में प्रसिद्ध है। बता दे खुजराहो मंदिर हिंदू और जैन मंदिरों का एक संग्रह है जिन्हें लगभग 1000 साल से भी अधिक पुराना माना जाता है। बता दे इन सभी प्राचीन मंदिरों निर्माण चंदेल वंश के राजाओं द्वारा 950 और 1050 के बीच करबाया गया था। कहा जाता है मंदिरों का निर्माण करवाने के बाद चंदेल शासकों ने महोबा को अपनी राजधानी बना लिया। इस मंदिरों की जटिल नक्काशी और बेहतरीन कामुक मूर्तिकला किसी भी इतिहास और कला प्रेमी को खजुराहो आने के लिए सम्मोहित कर सकती है। जिसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में भी सूचीबद्ध किया गया है।

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सूर्य मंदिर कोणार्क

ओडिशा में पुरी के पूर्वोत्तर कोने पर स्थित, कोणार्क सूर्य मंदिर एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और ओडिशा के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है। भारत के सबसे पुराने मंदिर में से एक कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण गंग वंश के महान शासक राजा नरसिम्हदेव प्रथम ने अपने शासनकाल 1243-1255 ई। के दौरान 1200 कारीगरों की मदद से किया था। 13 वीं शताब्दी के मध्य में निर्मित कोणार्क का सूर्य मंदिर कलात्मक भव्यता और इंजीनियरिंग की निपुणता का एक विशाल संगम है। चूंकि गंगा वंश के शासक सूर्य की पूजा करते थे, इसलिए कलिंग शैली में निर्मित इस मन्दिर में सूर्य देवता को रथ के रूप में विराजमान किया गया है तथा पत्थरों को उत्कृष्ट नक्काशी के साथ उकेरा गया है।

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कैलाश मंदिर, महाराष्ट्र

महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित यह दो मंजिला मंदिर एक ही पत्थर को काटकर बनाया गया है। यह मंदिर एलोरा की गुफाओं में स्थित है। लगभग 12 हजार साल पुराने इस मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट वंश के शासकों ने करवाया था। इसे बनाने में करीब 150 साल लगे और 7000 मजदूरों ने इस पर लगातार काम किया। यह मंदिर प्राचीन भारतीय सभ्यता का जीवंत प्रदर्शन करता हुआ नजर आता है। दुनिया भर में एक ही पत्थर की शिला से बनी हुई सबसे बड़ी मूर्ति के लिए यह मंदिर मशहूर है।

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